लाहौर पाकिस्तान का अहम हिस्सा है। हालां कि विभाजन के समय ऐसा नहीं था कि लाहौर पाकिस्तान का ही हो गया। आपको बता दें कि लाहौर हिन्दुस्तान का अहम हिस्सा होने जा रहा था। विभा जन के समय दोनों को भारत तथा पाकिस्तान को लगता था कि ये भारत का ही होगा। लेकिन लाहौर पाकिस्तान का हुआ और पाकिस्तान के अहम शहरों में से एक है।
लेकिन आखिर ऐसा क्यों हुआ लाहौर भारत का हिस्सा होते होते पाकिस्तान का हो गया। आपको बता दें कि इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। आखिर कार लाहौर हमारे देश का अभिन्न अंग क्यों नहीं बन सका। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा में ब्रिटेन का हाथ था। उस समय ब्रिटेन से एक शख्स सिरिल रेडक्लिफ को बुलाया गया। उन्हें ये कहा गया था कि भारत का विभा जन करना है।हालां कि रेडक्लिफ कोना भारत की कोई जानकारी थी ना उसकी संस्कृति की। उन्होंने ये फैसला लिया था कि भारत का कौन सा शहर कहा रहेगा। उस समय लाहौर में 40 प्रति शत गैर मुस्लिम थे और 80 प्रति शत प्रापर्टी आनरशिप गैर मुस्लिम के पास थी। इस वजह से लाहौर की अर्थ व्यवस्था पर गैर मु’स्लिमो का ज्यादा प्रभाव था।
इसके अलावा वहां गैर मुस्लिमो मान्यूमेट्सं, बिजनेस, संस्थानों, अस्पताल जैसे श्री गंगाराम अस्पताल, गुलाब देवी अस्पताल जानकी देवी अस्पताल, महाराजा रंजीत सिंह रियासत की कैपिटल थी। लेकिन रेडक्लिफ बी बी सी से बात चीत करते हुए कहा कि उन्होंने देखा कि पाकिस्तान के पास कोई बडा शहर नहीं है। इसलिए वहां मैंने लहौर दे दिया।पाकिस्तानियों को इसके लिए खुश होना चाहिए। हालां कि वहां दं’गें हुए। इसके अलावा विभाजन के दौरान ऐसी बहुत सी बातें और घटनाएं हुई जोकि उस समय में लेखकों ने दर्ज किया है और उनका लिखा पढ़कर आज हम उस समय के हालात का अंदाजा लगाते हैं।